Monday, December 17, 2007

चमचागिरी के स्कूल का शिलान्यास !

- विवेक सत्य मित्रम्
इंडियन इंस्टीट्यूट आफ चमचागिरी (अध्याय दो)

पहले अध्याय में आपने पढ़ा था कि मैंने रिटायरमेंट के बाद स्कूल खोलने का फैसला किया है। ये स्कूल चमचागिरी का पहला स्कूल होगा। ये विचार मेरे जेहन में क्यों आया इस पर पहले अध्याय में बात हो चुकी है। अब हम बात करेंगे दूसरे पहलुओं पर। लेकिन शुरु करेंगे उस सवाल से...ऐसा शख्स भला चमचागिरी कैसे सिखा पाएगा जो खुद इसमें कोई कमाल न दिखा पाया हो..-

...तो सवाल ये है कि भला वो आदमी चमचागिरी क्या सिखाएगा जो खुद ये काबिलियत डेवलप नहीं कर पाया? लेकिन इस सवाल के खिलाफ मेरे पास तमाम तर्क हैं। पर मेरे तर्कों के बाद आप दुबारा सवाल न करें तभी कहानी आगे बढ़ पाएगी। तो प्रभु, आप इलाहाबाद या दिल्ली में से किसी एक जगह से तो परिचित होंगे ही ( ऐसा मैं मानकर चल रहा हूं)..। आपने देखा ही होगा, किस तरह गैर आईएएस, गैर इंजीनियर और गैर डाक्टर इन तमाम पेशों में जगह बनाने के गुर सिखाते हैं। और लोग कामयाब न होते हों ऐसा भी नहीं है। तो सरकार, अगर ये तमाम लोग बिना आईएएस बने आईएएस, बिना इंजीनियर बने इंजीनियर और बिना डाक्टर बने डाक्टर बनने के नुस्खे दे सकते हैं तो भला मैं चमचागिरी का कोर्स क्यों नहीं चला सकता। वैसे भी मुझे इस खास प्रजाति की तरह तरह किस्मों के करीब रहने का नायाब अनुभव तो होगा ही। साथ ही मैं किसी न किसी ऐसे इंसान की इस खूबी के साइड इफेक्ट्स का शिकार तो कभी न कभी बना ही होउंगा। हकीकत तो ये है कि महज पांच सालों में ही इस तरह के तमाम साइड इफेक्ट्स से रुबरु हो चुका हूं। बहरहाल, इस बात से थोड़ा आगे बढ़ते हैं। तो अब ये तय हुआ कि रिटायरमेंट के बाद मैं चमचागिरी का स्कूल खोलूंगा। ज्यों ही मैं इस फैसले पर पहुंचता हूं मुझे इस स्कूल के लिए जरुरी पूंजी का खयाल बेचैन कर देता है। लेकिन तभी मुझे याद आता है कि मैं आज से २५ साल बाद के लिए सब कुछ प्लान कर रहा हूं। उस वक्त तक तो लोगों को इस तरह की तालीम देना, समाजसेवा जैसा हो चुका होगा। इस तरह, स्कूल की फंडिंग की परेशानी खत्म हो गई। मुझे तो उम्मीद है कि तब तक चमचागिरी शिक्षा के लिए कुछ एनजीओ भी बन चुके होंगे और इसके लिए विदेशों से भी ठीक ठाक डोनेशन मिलेगा जैसे प्रौढ़ शिक्षा के नाम पर दर्जनों एनजीओ करोड़ों रुपए बना चुके हैं। वैसे भी ये एक किस्म का वोकेशनल कोर्स होगा...जिसके लिए सरकार से भी फंड मिल जाएगा। इस तरह स्कूल का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने की चिंता खत्म। अब दूसरी चिंता, आखिर स्कूल का नाम क्या होगा? लेकिन ये मुश्किल काम नहीं है। देश में पहली बार खुलने वाले संस्थानों के लिए तो कोई दिक्कत ही नहीं है। और आम तौर पर इस तरह के पहले संस्थानों के नाम के आगे इंडियन इंस्टीट्यूट आफ....तो लगा ही होता है। तो ये तय हुआ कि मेरा स्कूल चूंकि चमचागिरी सिखाने वाला पहला इंस्टीट्यूट होगा..सो इसका नाम होगा...इंडियन इंस्टीट्यूट आफ चमचागिरी ( आईआईसी )। जहां जहां भी इंस्टीट्यूट का नाम लिखा जाएगा..वहां एक लोगो भी होगा। और ये लोगो गिरगिट का होगा। मेरे खयाल से गिरगिट से अच्छा कोई लोगो हो ही नहीं सकता...इसे देखकर स्कूल के छात्रों के लिए ये याद रखना आसान हो जाएगा कि रंग बदलने की खूबी, कामयाब चापलूस बनने की पहली शर्त होती है।
स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर, नाम और लोगो के बाद इसकी फैकल्टी पर विचार करना होगा। यहां पर सवाल ये बनता है कि फैकल्टी परमानेंट हो या गेस्ट्स से काम चलाया जाए। चूंकि ये स्कूल मेरे रिटायरमेंट रिहैबिलिटेशन प्लान का परिणाम होगा...लिहाजा मैं कतई किसी और को इसमें हिस्सेदार नहीं बनाऊंगा। साथ ही इसका एक फायदा ये होगा कि समय के साथ चापलूसी में आ रहे बदलावों की भी हमें जानकारी मिलती रहेगी। एक वक्त के बाद चापलूसी के तौर तरीकों में भी बदलाव आएगा। सो उस समय के धुरंधरों को ही बुलाना छात्रों के हित में होगा। फैकल्टी का चुनाव करते हुए बकायदा उनसे एक फार्म भरवाया जाएगा। इस फार्म में कुछ ऐसे कालम होंगे जिनसे ये पता चल सके कि इनमें चापलूसी की टैलेंट कितनी मात्रा में है। फार्म से मिली जानकारियों के आधार पर एक लिस्ट तैयार की जाएगी। इस लिस्ट में उन लोगों को प्रिविलेज दिया जाएगा जो किसी खास समुदाय, जाति, धर्म या विचारधारा वाले आर्गनाइजेशन में कम से कम समय में कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचा हो जिनसे उसका दूर दूर तक कोई वास्ता न हो। उन लोगों को भी तरजीह दी जाएगी जो एक संस्थान को छोड़ने के बाद तीसरी या चौथी बार उसमें नौकरी हासिल करने में कामयाब रहे हों।
चमचागिरी के इस स्कूल के कुछ और मजेदार पहलू बाकी हैं। इनका खुलासा अगली कड़ी में किया जाएगा....

3 comments:

विनीत कुमार said...

to aapko kya lagta hai sirji, abhi tak jo materji hamko pada rahe the, unhe sab aata tha kya, yae to karte-karte sikhne ki cheese hai, aap waefikra hokar shuru kare.

Anil Dubey said...

अरे वाह.साधूवाद आई आई सी के लिये. मैं बहुत दिन से ढूंढ रहा हूं किसी को जो मुझे थोडा सा यह गुर सिखा दे. फ़ैक्ल्टी के लिये जो प्रस्ताव आ रहे हैं उनमें से किसी का पता और फोन नंबर दिजीये. मैं ट्यूशन ले लूंगा.

Anonymous said...

janab, padanewale ko thok baja ke lijeeyega, kahin padanewale chamachagiri mein itane maahir na ho ki school aapke haath se nikal jaye.