- गुस्ताख
पीली पगड़ी पहने दाढीमय अभिषेक के पीछे निहोरे करते, टीवी स्क्रीन पर खींसे निपोरते.. एक चमचानुमा इंसान तो आपने देखा ही होगा। अमिताभनंदन के आइडिए पर वह कहते हैं- वॉट एन आईडिया सर जी..। यह चरित्र हमारे समाज का आईना है। चमचा। मक्खनबाज़। .... चलिए मुखिया जी के नायाब आइडिया पर बात करते हैँ। सचमुच शानदार आइडिया है। कोई आगे से बुरमी ( बिहार, यूपी के लोग पढ़े- कुरमी, ) और बूमिहार (पढ़ें भूमिहार..) नहीं होगा। लोग अब से अपने नंबरों से पहचाने जाने जाएंगे.. । स्वागत है। ऐसा एड दिमाग़ में लाने वालों स्वागत है।लेकिन कुछ प्रश्न सचमुच दिमाग़ को मथते हैं। मसलन, लोगों के नाम नंबर होंगे, उनकी जाति भी नहीं होगी। लेकिन उनका संप्रदाय तो फिर भी बना रहेगा। आइडिया, एयरटेल, टाटा इंडिकॉम, वोडाफोन जैसे संप्रदाय उभर आएंगे। जिसका नेटवर्क जितना मज़बूत, उसका उतना ज़्यादा ज़ोर . उसकी सत्ता में उतनी भागीदारी।फिर झगड़े होंगे... नंबर (नाम) परिवर्तन के। टेलाकॉलर्स दिन-रात , सुबह-शाम आपको फोन किया करेंगे.. सर मैं अमुक संप्रदाय की ओर से बोल रही हूं क्या आपको हमारा संप्रदाय जॉइन करना है? आपको १०० दिनों का टॉक टाइम मुफ्त दिया जाएगा. सलोगद धडल्ले से अपना धर्म बदलने लगेंगे। फिर आइडिया से लेकर वोडाफोन और एयरटेल तक में कोई शाही इमाम और कोई तोगड़िया पैदा होगा. मोदी भी हो सकते हैं।किसी खास नंबरों को लेकर नंदीग्राम जैसा संग्राम भी हो सकता है। खास नंबर सिर्फ सत्तापुत्रों और नजदीकी दल्लों को मिलेंगे। दलितों, कमज़ोरों और निचले तबके के लोगों को ऐसे नंबर ही मिला करेंगे जो आसानी से याद ही न हों. इसके अलावा कई सामाजिक समस्याएं भी पैदा होंगी। मसलन, नंबर से कोई भेदभाव न भी हो, तो आप किस ब्रांड का, किस मॉडल का मोबाईल इस्तेमाल करते हैं, वह आपकी आर्थिक कलई खोल देगा। यह देखा जाएगा कि आपका मोबाईल कैमरे वाला है या नहीं, उसके क्या-क्या फीचर्स हैं। ४-५ हज़ार से कम कीमत वाला सेट इस्तेमाल करने वाला हंसी का पात्र माना जाएगा और फिर समरसता का एक और सिद्धांत हमेशा की तरह ध्वस्त हो जाएगा।(यह एक शंकालु के सवाल हैं, दिल पर मत लें)..
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