बचपन में एक कहानी सुनी थी...जिसका शीर्षक यही था - राजा के दो सींग, किम-किम-किम...
हुआ यूं कि बहुत पहले एक राजा हुआ करता था जिसके सिर पर दो सींग थे...इसे छुपाने के लिए वो हमेशा ही मुकुट पहने रहता था...बाल काटने वाला नाई ही जानता था कि उसके सिर पर सींग हैं...पुस्तैनी नाई की मौत के बाद राजा पर चिंता के घनघोर बादल मंडराने लगे कि अब उनके बाल कौन काटेगा...क्यों कि जो भी काटेगा ये राज सबको बता देगा कि राजा के दो सींग हैं...किसी तरह खोज कर एक नाई लाया गया...नाम था - बब्बन. जब राजा जी ने बाल कटवाने के लिए अपना सिर नाई के आगे किया तो बब्बन हजाम ठठाकर हंसने लगा...उसे आश्चर्य भी हुआ और हंसी भी आई...खैर किसी तरह उसने राजा के बाल काटे...राजा ने उसे सख्त हिदायत दी कि अगर उसने ये बात किसी को बताई उसका सर कलम करवा दिया जाएगा...बब्बन डर गया..उसने किसी को नहीं बताया...दिन बीतते गए..बब्बन सबके बाल काटता रहा..लेकिन उस दिन के बाद से उसके पेट में एक अजीब तरह का दर्द रहने लगा...उसे लगता जैसे वो सींग वाली बात उसके पेट की दीवारों को खरोंच रही है और कह रही हो कि मुझे बाहर निकालो..मुझे बाहर निकालो....ज्यों-ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता ही गया...बब्बन के पेट का घाव बढ़ता ही गया...एक दिन वो जंगल चला गया...और एक सूखे पेड़ के सामने सारी बातें जोर-जोर उगल दीं...अब वो हल्का महसूस कर रहा था....कुछ दिनों बाद राजा जी के यहां एक संगीत समारोह आयोजित हुआ...राजा की सल्तनत के अलावा दूर-दूर देश के कई राजा भी आए हुए थे...समारोह शुरु हुआ...शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम था...सारंगी, तबला और ढोलक पर साज दिए जाने थे..समां बंधा था...लेकिन बाजा बजते ही सबके कान चौकन्ने हो गए...कलाकार जो धुन निकालना चाहते वो निकली ही नहीं रही थी..कुछ और धुन निकल रही थी...सबने सुना...उस धुन को...सारंगी बजी- राजा के दो सींग...तबले की थाप से आवाज आई - किम..किम..किम...देर तक यही दोनों बड़-बड़ करते रहे..अब राजा को तो काटो तो खून नहीं...सिर पे सींग वाली इतनी छुपाने के बावजूद इतनी फैल गई कि बाजा भी बाजा फाड़के बोल रहा है कि राजा के दो सींग....अभी तक ढोलक वाला खामोश था...ढोलक पर हाथ पड़ते ही वो बोल पड़ा - बब्बन हजाम..बब्बन हजाम....
(अं अं अं माथे पर शिकन मत लाइए...आपका सवाल यही है ना कि ये कैसे हो गया, बताऊंगा लेकिन पहले आप बताइए कैसे हुआ होगा ऐसा...क्योंकि बहुत मुमकिन है आप जानते हों ?)
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