Saturday, March 28, 2009
कटुआ कहने में खराबी का है भाई !
कटुआ कहने में खराबी क्या है भई....जो वो हैं वही तो कहा है वरुण गांधी....ये गाली कहां से हो गई जो न्यूज चैनलों पर इस शब्द के आने पर लंबी बीप लगा दी जा रही है, अरे जब किसी को डायन कहे जाने पर किसी को आपत्ति नहीं हुई.....किसी को काफिर कहे जाने पर आपत्ति नहीं हुई तो फिर कटुओं को कटुआ कहने पर गां....में मिर्च काहे लग रही है भाई... आम बोलचाल में हम कितनी बार अपने मुसलिम दोस्तों को कटुआ कहते हैं...और वो बुरा नहीं मानते.......ये अल्फाज मेरे अपने नहीं है....कहीं किसी के श्रीमुख से सुनी है, लेकिन इन शब्दों ने मुझे कुछ सोचने को मजबूर कर ही दिया। आखिरकार वरुण गांधी पर इतना बवाल क्यों मचा ? मेरे हिसाब से तो अब जाहिर ही है...पूरा का पूरा प्रकरण चुनावी स्टंट है...इस बार के चुनाव में बीजेपी के पास कोई मुद्दा तो है नहीं, राम मंदिर का मुद्दा है नहीं, महंगाई कम हो ही गई...फिर आखिर वो सरकार को घेरे तो कैसे घेरे, इसलिए उसने एक बार फिर हिंदुओं के दबे हुए आक्रोश को भुनाने का प्लान बनाया। और प्लान के तहत ही वरुण गांधी ने ये भड़काऊ भाषण दिया और अपने मीडिया मित्रों के सहारे रातोंरात बीजेपी के स्टार प्रचारक बन गए...अब हालत ये है कि बीजेपी और हिंदुत्व के समर्थक वरुण गांधी के झंडे तले इकट्ठे होने लगे हैं। जाहिर है इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा। यही नहीं वरुण गांधी को बाकायदा सरेंडर करवा कर बीजेपी ने वरुण की टीआरपी और बढ़ा दी है...बुद्धिजीवी वर्ग इस पूरे प्रकरण की निंदा कर रहा है...लेकिन जिस वर्ग को वोट देने जाना है वो तो वरुण गांधी पर फिदा हो गई है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
8 comments:
हम तो फिदा है ही बाकी दुनिया जाये Oil लेने :)
kisi insan ki uakaad batane me kya takleef hai jam gayi jam gayi
kisi insan ki uakaad batane me kya takleef hai
कटुआ को कटुआ नही कहेंगे तो क्या कहें
कटुआ को कटुआ नही कहे तो और क्या कहे
कटुआ को कटुआ नही कहे तो और क्या कहे
जिसको कहा गया उसको बुरा नहीं लगता लेकिन मिडिया वाले....
तुम लोगों की माता जी को कटुओं के पास जाने में कोई प्रोब्लम नहीं हुआ और तुम लोगों जैसी कटुओं से प्रेम करने वाली औलाद पैदा करदी तो दूसरों को क्या आपत्ति हो सकती है कटुओं की औलाद . तुम्हारा फादर
Post a Comment