Thursday, July 23, 2009

भारत में भारतीय खेलों की उपेक्षा...

राष्ट्रीय खेल हॉकी का एक बार फिर मजाक उड़ाया गया। स्पोर्ट्स एथोरेटी ऑफ इंडिया ने अपने गैरजिम्मेदाराना रवैया पेश किया। सबसे मजेदार बात इ है कि ये बार-बार मजाक स्पोर्ट्स एथारिटी के ओर से किया गया। दरअसल पूरा मामला ये है कि भारतीय महिला और पुरूष टीम पुणे से दिल्ली आ रहे थे, जिनको लेने के लिये भारतीय खेल प्राधिकरण खिलाड़ियो के लिये होटल में बस नहीं भेजा.. वो खिलाड़ी लोग अपने द्वारा किये गये साधन से होटल से गतंव्य स्थान तक पहुंचे। खैर ये कोई नया मामला नहीं है जब इस तरह से भारतीय हॉकी खिलाड़ियो के साथ बदसलूकी की गयी हो। यहां पर सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात ये है कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है। जब राष्ट्रीय खेल के साथ ऐसा किया जा सकता है तो किसी भी खेल के साथ ऐसा हो सकता है...भारत में तीरंदाजी हो..कबड्डी हो या फिर कोई भी खेल....जिनका विश्व पटल पर महत्व होता है..इन खेलों के साथ हमेशा से नाइंसाफी ही हुई है...क्रिकेट के इस देश में कभी हॉकी का वर्चस्व होता था...जमाना बदला लोग बदले बदल गया खेल का स्वाद..जहां भारत के गांवो में हॉकी बांस के डंडे से खेला जाता था..आज उसकी जगह लकड़ी का बल्ला ले लिया है..इस मामले पर चिंतित होना लाजिमी है...क्योंकि आने वाले ओलंपिक में स्वर्ण...कांस्य ..रजत जैसे पदक इन्ही खेलो से मिलते है... चीन ...अमेरिका..जापान जैसे देश अपने यहां इस तरीके के खेलों पर पूरा ध्यान देते है...जिससे कभी भी ओलंपिक में उन देशों का स्थान सोना और चांदी लाने में नंबर एक पर होता है।
आपका
विवेक