हक़ीक़त जो कहीं दर्ज़ नहीं होती !
वाकई....ये कविता ऊपर से गुजर गई...वैसे विद्वतजनों का कहना है कि वो कविता ही क्या जो समझ में आ जाए...खैर, चूंकि छोटी है...और पाठकों को बोर करने मे नाकाम है...इसलिए भी आप बधाई के हकदार हैं....
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वाकई....ये कविता ऊपर से गुजर गई...वैसे विद्वतजनों का कहना है कि वो कविता ही क्या जो समझ में आ जाए...खैर, चूंकि छोटी है...और पाठकों को बोर करने मे नाकाम है...इसलिए भी आप बधाई के हकदार हैं....
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