Thursday, January 31, 2008
भारत की नीति - "नेपाल के मुद्दे" पर
नेपाल मे हुआ सत्ता परिवर्तन भारत के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है .हमारी केन्द्र सरकार जिसतरह आँख बंद कर सोयी है हमे आश्चर्य होता है कि हमारे पडोसी मुल्क मे भारत विरोधी ताकते पैर पसार रही है और हम नपुंसक बने बैठे है .नेपाल कि राजशाही भारत की समर्थक थी .माना कि लोकतंत्र आवश्यक है परन्तु वह तथाकथित न होकर भारतीय लोकतंत्र जैसा पवित्र होना चाहिऐ .माओवादी सरपरस्ती मे बनी नेपाली सरकार जगजाहिर है कि उसका मंसूबा भारतीय हितों के लिए न सकारात्मक था न ही रहेगा.भारत विरोधी विदेशी ताकते नेपाल मे अभी से ही सक्रिय हो गयी है .माओवादी नक्सलवाद का खुला समर्थन करते है .उत्तरप्रदेश और बिहार समेत भारत के दक्षिण ,पूर्वोत्तर राज्यों मे नक्सलवादी हरकते लगातार जारी है .समाचारपत्रों व अन्य माध्यमो से आमजनता को मालूम है कि हर महीने हमारे सैकडो जवान नक्सलवादी घटनाओ मे शहीद होते है .भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान चीन तो पहले ही हमारी सीमा पर गिद्ध दृष्टि लगाए बैठे है .श्रीलंका पर हमारी नीति ने हमारे एक नेता कि बलि ले ली . कुछ साल पहले बाग्लादेश से लाये गए २२ बी एस ऍफ़ के जवानों की शवो की वह तस्वीर जिसमे हमारे जवान जानवरों की तरह टाँगे गए थे हमारी आंखो के नाच रही है .और हम एक नया सर दर्द पाल बैठे है .अमेरिका ने तो अमेरिकी हितों का हवाल देकर हजारो मील दूर अफगानिस्तान ईराक पर हमला कर सत्ता परिवर्तन कर दिया और हम अपने बगल नए दुश्मन का प्रादुर्भाव देख रहे है .नेपाल भारत और चीन के बीच एक खाई कि तरह है .अरुणांचल आसाम सिक्किम नागालैंड तो चीनी हस्तक्षेप से पहले ही पीड़ित है अब नेपाल के रास्ते उत्तर प्रदेश बिहार पर भी यही खतरा मंडरा रहा है .ऐसा नही है कि हमारे राजनीतिज्ञ नौकरशाह इस समस्या से अनभिज्ञ है परन्तु बाम्पन्थियो के दबाव के कारण सरकार मजबूर है.बामपंथी और माओवादी एक ही सिक्के के दो पहलू है .इन बाम्पन्थियो को तो भारतीय हितों से ज्यादा चीनी हितों की चिंता रहती है.समर्थ न वापसी की धमकी के चलते इन बाम्पन्थियो ने अन्य कई राष्ट्रीय हितों के मुद्दों पर सरकार को कदम पीछे करने पर मजबूर कर दिया .परन्तु ये सत्ता के लालची नेता और भ्रष्ट नौकरशाह अपनी मातृभूमि से भी खिलवाड़ कर रहे है .........सरकार को चाहिऐ था कि वह नेपाल मे हस्तक्षेप कर नेपाल मे एक वास्तविक सच्चे पवित्र लोकतांत्रिक सरकार का गठन करवाती जो भारत समर्थक होती .
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