Thursday, October 2, 2008

वो खबर बनाती थी, अब खबर बन गई !

सौम्या विश्वनाथन। कुल उम्र 26 साल। पत्रकारिता का करियर 5 साल से कुछ ज्यादा। यूं तो मैं सौम्या को उसके जिंदा रहते जानता भी न था। फिर भी हमारे बीच एक रिश्ता था। पहला तो ये कि हम दोनों ही आईआईएमसी पास आउट थे। दूसरा ये कि वो भी मेरे ही बैच की थी। हम एक दूसरे से परिचित नहीं थे। वो इसलिए कि मैंने दिल्ली में कोर्स किया। उसने ढ़ेंकनाल से किया। कमोबेश एक ही तरह के करियर से गुजरते हुए। वो एक अंग्रेजी चैनल में प्रोड्यूसर थी। मैं एक हिंदी चैनल में प्रोड्यूसर हूं। वो भी खबर बनाती थी। मैं भी खबर बनाता हूं। कहा जा रहा है। एक खबर के चक्कर में ही उसे ऑफिस में लेट हो गया। और उस रात के बाद का सवेरा वो कभी नहीं देख पाई। मालूम नहीं..उसके साथ क्या हुआ। मालूम नहीं किसने उसे मौत के घाट उतारा। मालूम नहीं आगे क्या होगा। मगर इतना जरुर महसूस कर पा रहा हूं..कि खबरों के साथ खेलते खेलते हर खबर खिलौना सी लगने लगी है। मेरी एक बैचमैट बेरहमी से मौत के घाट उतार दी जाती है...और मैं उसकी खबर बनातेवक्त ये सोच रहा हूं..उसकी मौत को शानदार ढ़ंग से बयां करने के लिए कैसी भाषा..कैसे शब्दों का इस्तेमाल करुं..। सचमुच हर रोज मौत का तमाशा बनाते बनाते हमारे जज्बातों का तमाशा बन गया है..औऱ हम बेबस हैं...कायदे से हम अपनी उस दोस्त के लिए दुखी भी नहीं हो सकते...जो खबर बनाते बनाते खुद खबर बन गई है।

ये तो हुई मेरी कहानी। कुछ लोग ऐसे भी हैं..जिन्होंने सौम्या के साथ वक्त बिताया है.. सौम्या का जाना उनकी जिंदगी में कैसा खालीपन लेकर आया है...वो आप यहां पढ़ सकते हैं-
वो बार बार आती रही मेरे ख्यालों में

2 comments:

मिथिलेश श्रीवास्तव said...

क्या कहूं...क्या लिखूं....शब्द नहीं मिल रहे...केवल अंदर कहीं एक अजीब-सा तूफान महसूस कर रहा हूं...

Anonymous said...

tumhari ye post parke mujhe 'mumbai meri jaan' film yaad aa rahi hai, jisme train dhamake me apne pati ko kho chuki saathi patrkaar ka interview lene ki kawayad ki jaati hai. If you haven't seen already then watch this movie.