हादसाकलकाहै....बयांअबकररहाहूं....जहांशेरनीनेचुम्मीलीथी...वहांअबपट्टीबंधीहै....कीबोर्डपरउंगलियांबमुश्किलचलपारहीहैं.....पट्टीआजहीबंधवाईहै....कलरुमालबांधकरघूमरहाथा.....ऑफिसमेंकामभीकररहाथा....................ओफ्फ, दिमागकोज्यादामतदौड़ाइए....मैंक्याखबरियाचैनलोंकीतरहटीआरपीकेचक्करमेंकल्पनालोकक्रिएटकररहाहूं....दरअसलआजमेराऑफहै....पूरेदिनघूमतारहा....कहींनकहींकिसीनकिसीकामसे...आजढेरसारेमुद्देभीहैंमेरेपासलिखनेकेलिए...वोरिक्शेवालेकीसड़कपरबिखरीहुईदालहो.....कनॉटप्लेसमेंभीखमांगताहिजड़ाहो....बंदपड़ासेंट्रलपार्कहो...दिल्लीमेंपधारींअमेरिकीविदेशसचिवकोंडोलिज़ाराइसहोंयादिन-भरसोते-जागते...हरवक्तजिसकाचेहरामेरीआंखोंकेसामनेआजकलछायाहुआहैवोहो....मुद्दोंकीभरमारहैमेरेपासलेकिन.....कलवालीहीबातकरनाज्यादारुचिकरलगरहाहैमुझे.....दरअसललिक्खाड़लोगोंकीसबसेबड़ीपरेशानीहोतीहै.....वोकुछभीपचानहींपाते...उगलनेकेलिएबेताबरहतेहैं....मेराभीवहीहालहै.......कलक्याहुआ...किमैंअपनेऑफिसमें, न्यूजरुममेंदाखिलहुआ....बाएंहाथमेंरुमालबांधकर.....शीर्षकउसीसेजुड़ाहै...मैंनेभरसककोशिशकीकिमेराबायांहाथनदिखे...लेकिनभलाऐसाकैसेहोपाता....कंप्यूटरपरबैठकरछुपानेकीकोशिशभीकीलेकिन...इंसानीआंखेंतोवहीकोनातलाशतीहैंजोछुपायाजारहाहो.....एककेबादएकजिसनेदेखा, सवालदागा.....सवालोंकेएकसेएकमज़मून...- क्याभई, कहांभिड़गए...किससेहाथापाईहोगई...अरेमिथिलेशभाईसेकौनभिड़ेगा...!!!....क्याहुआजनाब, कहांगिरगए.....अरे, येक्याहुआ...चोटलगगईक्या...दवालीकिनहीं.....मजेकीबातयेरहीकि...किसीनेभीरुमालकेअंदरझांकनेकीजुर्रतनहींकी....लेकिनजुर्रतकरनेवालेऔरमज़ालेनेवालेभीकमनहीं....अपनीबेबाक-बिंदास छविकेलिएमशहूरएक क्राइम रिपोर्टरनेकहा- ''टशनमेंबांधरखाहै...या....????".....अबतकतोमैंलोगोंकोसचबताताजारहाथालेकिनइसजुमलेसेमुझेप्रेरणामिली....अंदरकानटखट बच्चे को जैसे तेज भूख लग गई वो अपनी खुराक तलाशने लगा....यहां वहां कुछ भी मिल जाए चुरमुरा, बिस्कुट या तीखा मसालेदार नमकीन, कुछ भी....उसकेबादजिसनेपूछा, जवाबयहीमिला...''कुछनहींयार, ऐसेहीटशनमें...!'' .....उधरएकप्रोमोप्रोड्यूसरनेछेड़ा- अरेमियां, किसबिल्लीसेकटवाकेआरहेहो.....मैंनेकहा- अबे, बिल्लीनहीं, शेरनीनेचुम्मीलेली, शुक्रहैहोंठसही-सलामतहै....!
(अगर आप ये समझ रहे हों कि मैंने अपने हाथ पर फर्जी तरीके से, केवल टशन मारने के लिए बांध रखा था तो आपको बता दूं ऐसा बिल्कुल नहीं है...अभी मेरे हाथ पे पट्टी बंधी है....दाहिना पैर पूरा सूजा हुआ है....कल छुट्टी भी नहीं मिल रही....पोस्ट लिखने के दौरान ही फोन आ चुका है...कल ऑफिस रोजाना के टाइम से दो घंटे पहले पहुंचना है....तो कल ऑफिस पहुंचूंगा.........बाएं हाथ में पट्टी और सूजा हुआ पैर लेकर...ये हादसा कैसे हुआ वो फिर कभी क्योंकि वो सब बयान करने से हास्य रस नहीं, रौद्र रस की निष्पति होगी.....तो एक बार में एक ही रस ....का पान करें तो अच्छा....है ना !)
2 comments:
शीघ्र स्वस्थ हो जायें, यही कामना है.
शेरनी का चुम्मा आपके लिए अच्छा साबित हुया। इसी बहाने कई लोगो की संवेदनाऐ जाग गयी। पता चलता है लोगो को आज भी दूसरो की परवाह है।
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