Saturday, October 4, 2008

शेरनी ने ले ली चुम्मी, शुक्र है होंठ बच गए !

हादसा कल का है....बयां अब कर रहा हूं....जहां शेरनी ने चुम्मी ली थी...वहां अब पट्टी बंधी है....कीबोर्ड पर उंगलियां बमुश्किल चल पा रही हैं.....पट्टी आज ही बंधवाई है....कल रुमाल बांधकर घूम रहा था.....ऑफिस में काम भी कर रहा था....................ओफ्फ, दिमाग को ज्यादा मत दौड़ाइए....मैं क्या खबरिया चैनलों की तरह टीआरपी के चक्कर में कल्पनालोक क्रिएट कर रहा हूं....दरअसल आज मेरा ऑफ है....पूरे दिन घूमता रहा....कहीं कहीं किसी किसी काम से...आज ढेर सारे मुद्दे भी हैं मेरे पास लिखने के लिए...वो रिक्शेवाले की सड़क पर बिखरी हुई दाल हो.....कनॉट प्लेस में भीख मांगता हिजड़ा हो....बंद पड़ा सेंट्रल पार्क हो...दिल्ली में पधारीं अमेरिकी विदेश सचिव कोंडोलिज़ा राइस हों या दिन-भर सोते-जागते...हर वक्त जिसका चेहरा मेरी आंखों के सामने आजकल छाया हुआ है वो हो....मुद्दों की भरमार है मेरे पास लेकिन.....कल वाली ही बात करना ज्यादा रुचिकर लग रहा है मुझे.....दरअसल लिक्खाड़ लोगों की सबसे बड़ी परेशानी होती है.....वो कुछ भी पचा नहीं पाते...उगलने के लिए बेताब रहते हैं....मेरा भी वही हाल है.......कल क्या हुआ...कि मैं अपने ऑफिस में, न्यूजरुम में दाखिल हुआ....बाएं हाथ में रुमाल बांधकर.....शीर्षक उसी से जुड़ा है...मैंने भरसक कोशिश की कि मेरा बायां हाथ दिखे...लेकिन भला ऐसा कैसे हो पाता....कंप्यूटर पर बैठकर छुपाने की कोशिश भी की लेकिन...इंसानी आंखें तो वही कोना तलाशती हैं जो छुपाया जा रहा हो.....एक के बाद एक जिसने देखा, सवाल दागा.....सवालों के एक से एक मज़मून...- क्या भई, कहां भिड़ गए...किससे हाथापाई हो गई...अरे मिथिलेश भाई से कौन भिड़ेगा...!!!....क्या हुआ जनाब, कहां गिर गए.....अरे, ये क्या हुआ...चोट लग गई क्या...दवा ली कि नहीं.....मजे की बात ये रही कि...किसी ने भी रुमाल के अंदर झांकने की जुर्रत नहीं की....लेकिन जुर्रत करने वाले और मज़ा लेने वाले भी कम नहीं....अपनी बेबाक-बिंदास छवि के लिए मशहूर एक क्राइम रिपोर्टर ने कहा- ''टशन में बांध रखा है...या....????".....अब तक तो मैं लोगों को सच बताता जा रहा था लेकिन इस जुमले से मुझे प्रेरणा मिली....अंदर का नटखट बच्चे को जैसे तेज भूख लग गई वो अपनी खुराक तलाशने लगा....यहां वहां कुछ भी मिल जाए चुरमुरा, बिस्कुट या तीखा मसालेदार नमकीन, कुछ भी....उसके बाद जिसने पूछा, जवाब यही मिला...''कुछ नहीं यार, ऐसे ही टशन में...!'' .....उधर एक प्रोमो प्रोड्यूसर ने छेड़ा- अरे मियां, किस बिल्ली से कटवा के रहे हो.....मैंने कहा- अबे, बिल्ली नहीं, शेरनी ने चुम्मी ले ली, शुक्र है होंठ सही-सलामत है....!

(अगर आप ये समझ रहे हों कि मैंने अपने हाथ पर फर्जी तरीके से, केवल टशन मारने के लिए बांध रखा था तो आपको बता दूं ऐसा बिल्कुल नहीं है...अभी मेरे हाथ पे पट्टी बंधी है....दाहिना पैर पूरा सूजा हुआ है....कल छुट्टी भी नहीं मिल रही....पोस्ट लिखने के दौरान ही फोन आ चुका है...कल ऑफिस रोजाना के टाइम से दो घंटे पहले पहुंचना है....तो कल ऑफिस पहुंचूंगा.........बाएं हाथ में पट्टी और सूजा हुआ पैर लेकर...ये हादसा कैसे हुआ वो फिर कभी क्योंकि वो सब बयान करने से हास्य रस नहीं, रौद्र रस की निष्पति होगी.....तो एक बार में एक ही रस ....का पान करें तो अच्छा....है ना !)

2 comments:

Udan Tashtari said...

शीघ्र स्वस्थ हो जायें, यही कामना है.

अरविंद चतुर्वेदी said...

शेरनी का चुम्मा आपके लिए अच्छा साबित हुया। इसी बहाने कई लोगो की संवेदनाऐ जाग गयी। पता चलता है लोगो को आज भी दूसरो की परवाह है।