Wednesday, November 5, 2008

ओबामा या ओ(ह)बामा !

ओबामा की जीत पर पूरा अमेरिका जश्न मना रहा है...लेकिन ओबामा की जीत भारत के लिए चिंता का सबब बन सकती है...ओबामा ने अब तक जो किया है अगर उसे देखा जाए तो ओबामा का राष्ट्रपति बनना भारत के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ाने वाला ही है।
ओबामा की जीत से जहां ज्यादातर अमेरिकियों की खुशियों का ठिकाना नहीं है, वहीं भारत के माथे पर चिंता की कई लकीरें उभर आई हैं....चिंता की पहली लकीर है कश्मीर समस्या में अमेरिकी दखल...ओबामा कश्मीर को पाकिस्तान की समस्या मान रहे हैं और इस पर अमेरिकी मध्यस्थता करना चाहते हैं.....चिंता की दूसरी लकीर है आउटसोर्सिंग पर पाबंदी...ओबामा नहीं चाहते कि नौकरी के लिए अमेरिकियों को दूसरे देश से आए लोगों से कंपटीशन करना पड़े...चिंता की तीसरी लकीर है...चंद्रयान पर टेढ़ी नजर...ओबामा चंद्रयान मिशन को अमेरिका के अंतरिक्ष पर एकछ्त्र नियंत्रण की राह में खतरा मानते हैं...चिंता की चौथी लकीर है न्यूक डील के बदले सीटीबीटी पर दस्तखत...राष्ट्रपति बनने के बाद वो भारत पर सीटीबीटी पर दस्तखत करने का दबाव बना सकते हैं...चिंता की पांचवीं लकीर है आतंकवाद पर ओबामा की राय...ओबामा आतंकवाद के सफाए के लिए पाकिस्तान की खुले दिल से मदद करना चाहते हैं....चिंता की छठी लकीर है...कृषि पर सब्सिडी....ओबामा अमेरिकी किसानों के लिए ज्यादा सब्सिडी की वकालत करते हैं...जो भारतीय किसानों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है...चिंता की सातवीं लकीर अप्रवासी भारतीयों के लिए है....ओबामा अप्रवास-क़ानूनों में 'एच वन-बी' वीज़ा-कार्यक्रम शामिल कर उसे और पेचीदा बनाने वाले हैं.......ये तो रही ओबामा की नीतियां...इसके अलावा भी ओबामा का भारत विरोधी रुख कई बार देखने को मिला है... राष्ट्रपति चुनाव के पहले चरण के वक्त ओबामा इस बात से खासे नाराज थे कि हिलेरी क्लिटंन भारतीय कंपनियों में पैसा लगा रही हैं, और आउटसोर्सिंग के जरिए अमेरिकियों के हिस्से की नौकरी भारतीयों को दे रही हैं.......तो साफ है, ओबामा की जीत पर फिलहाल भारतीय सियासतदान भले ही खुश हो रहे हों...लेकिन आने वाले दिनों में जब उनकी खुशफहमी दूर होगी..तो उनके माथे पर ढेर सारी चिंता की लकीरें उभर आएंगी....

2 comments:

eSwami said...

मिथिलेश भाई,
मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूं!

ओबामा को सबसे बडी आपत्ती पाकिस्तान को दी जा रही आर्थिक सहायताओं के बावजूत उसकी शरारती करतूतों में रत रहने से रही है.

ओबामा ये जानते हैं की अमरीका की तरक्की के लिये काम को बाहर भेजने से रोकना उतनी बडी प्राथमिकता नहीं है जितना नई तकनीकों की मदद से नए जॉब्स तैयार करना - कुछ यही उन्होंने चुनाव जीतने के बाद कल रात अपनी पहली स्पीच में भी कहा!

Gwalior Ltd said...

hmmmm