दोस्तो चुनाव सिर पर है और हम जैसे पत्रकार चुनावी दंगल में अपना-अपना एंगिल देने में लग गये है। कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी नहीं तो थर्ड फ्रंट है ना। सरकार किसकी बनेगी अभी तय नहीं है लेकिन आलाकमान अपने-अपने प्रधानमंत्री तय कर लिये है। भारतीय जनता पार्टी तमाम अदंरूनी विरोध के बाद आखिरकार लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री के रूप में पेश कर दिया है। कांग्रेस के लिये तो मनमोहन ही मन को मोह लिये है। रहा सवाल थर्ड फ्रंट का तो तीसरा मोर्चा में तो सभी पीएम बनने के लिये बेताब है....चाहे चुनाव में कम ही सीट क्यों ना मिले।
सबसे पहले बात भारतीय जनता पार्टी की.... १९९८ के बाद अब जाके पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र जारी हुआ है। घोषणा पत्र में राम मंदिर की बात को प्रमुखता से दिया गया है, एक बार सरकार बनने पर हिंदुवादी नजरिये के बाद बीजेपी राम मंदिर तो नही बना पायी देखते है अब सरकार अगर सरकार बन जाती है तो क्या होता है.......... कांगेस की बात करे तो कांग्रेस अभी तो मेनीफैस्टो नहीं जारी की है लेकिन अपने पांच साल के कार्यकाल को भुनाने में गुरेज नही करेगी।
समाजवाद को भूल चुकी समाजवादी पार्टी अब लोहिया का नाम लेने से नही चुकेगी। खैर चुनाव में सीट जो लेनी है।
आम आदमी के पैसे से अपने घर के रोशनी जलाने वाले ये नेता लोग वोट लेने के चक्कर में कुछ भी करने से नहीं चुकेंगी.........
आम आदमी की जीवन शैली में थोड़ा सा परिवर्तन जरूर हुआ है लेकिन गांव में अभी भी जागरूकता की कमी है। लोग जातिगत राजनीति से उपर नही उठ रहे है। लेकिन जब भी आम जनता जागेगी तो क्रांति जरूर आयेगी।
सबसे पहले बात भारतीय जनता पार्टी की.... १९९८ के बाद अब जाके पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र जारी हुआ है। घोषणा पत्र में राम मंदिर की बात को प्रमुखता से दिया गया है, एक बार सरकार बनने पर हिंदुवादी नजरिये के बाद बीजेपी राम मंदिर तो नही बना पायी देखते है अब सरकार अगर सरकार बन जाती है तो क्या होता है.......... कांगेस की बात करे तो कांग्रेस अभी तो मेनीफैस्टो नहीं जारी की है लेकिन अपने पांच साल के कार्यकाल को भुनाने में गुरेज नही करेगी।
समाजवाद को भूल चुकी समाजवादी पार्टी अब लोहिया का नाम लेने से नही चुकेगी। खैर चुनाव में सीट जो लेनी है।
आम आदमी के पैसे से अपने घर के रोशनी जलाने वाले ये नेता लोग वोट लेने के चक्कर में कुछ भी करने से नहीं चुकेंगी.........
आम आदमी की जीवन शैली में थोड़ा सा परिवर्तन जरूर हुआ है लेकिन गांव में अभी भी जागरूकता की कमी है। लोग जातिगत राजनीति से उपर नही उठ रहे है। लेकिन जब भी आम जनता जागेगी तो क्रांति जरूर आयेगी।
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