Friday, April 10, 2009

जुते का साइड इफेक्ट ...




जनाब ये बात लिखते हुये ताज्जुब हो रहा है, लेकिन लिखना पड़ रहा है.......कभी समाज में गाली खाने वाला जूता अब राजनीतिक हलके का एक सम्माननीय परिचय हो गया है। समाज में जुते का सम्मान इस कदर बढ़ गया है कि जहां देखो लोग जुता पर जुता दिये जा रहे है। कहीं बुश जुता खा रहे है तो कही चिदंबरम.....अब सिलसिला नवीन जिंदल तक पहुंच गया है। समाज में लोग को गाली देते हुये आप बहुत सुने होगें कि ....अब बोलोगे तो जूते से मारूगां ..... कितना हेय दृष्टि से लोग जूते को देखते थे। अब जूते का रूतबा बढ़ गया है। अब जूते से मार खाने वाले की पब्लिसिटी बढ़ रही है साथ में मारने वाले को एक वर्ग विशेष में अच्छा खासा इज्जत....
दो जूते आपस में बात कर रहे थे कि ....
(पहला जूता यार अब तो हमे इज्जत मिल रही है....कहीं ये नेता लोगो की चाल तो नहीं है?
दुसरा जूता हां यार सही कह रहे हो....ये नेता लोगो की कोई चाल हो सकती है....क्योंकि एक मारता है तो उसको लोग टिकट देने की बात करते है .... तो दूसरी तरफ एक का टिकट कट जाता है....ये नेता लोग अब हमारी कौम में भी दखल देने लगे है......)
दोस्तों अब चलते - चलते ये बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि अब जूते का वैल्यू बढ़ गया है ..... चप्पल पहनना छोड़ दीजिये ॥ हो सकता है कही जूता आपको टिकट ना दिलवा दे....लोकसभा चुनाव सिर पर है......।

3 comments:

समयचक्र said...

जूता का लेख पसंद आया चित्र के साथ .लगता है जूता सर्वव्यापी हो गया है छा गया है .धन्यवाद.

Satyendra PS said...

आपको जूता मारना हो तो किसे मारना पसंद करेंगे?

Vivek Kumar "विवेक" said...

satyendra ji...thanx for comment...

apni but kuch tarika at pahuchane ke liye JUTE ke alawa aur bhi tarike hai......
khair jab marana hoga to....kisi bhrast JUDGE ko marunga......