Wednesday, January 14, 2009

पत्रकारिता पर शिकंजा .....

दोस्तों ...लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को सरकार की टेढी नजर लगनी शुरू हो गई है ........सरकार की नई नीति में अब न्यूज़ चैनल वालो को किसी प्रसारण के पहले उनकी अनुमति लेनी पड़ेगी । कोई ख़बर दिखाने के पहले सम्बंधित जिलाधिकारी को दिखाना पड़ेगा फ़िर उसको दिखाना पड़ेगा । सरकारी तंत्र के लचर रवैये को देखते हुए किसी ख़बर को तुंरत दिखा पाना .....आसमान से तारे तोड़ लाने के बराबर होगा । क्या ये सही है ?????जायज है ???
नही ।
विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में संवैधानिक रूप से ये अधिकार मिला हुआ है की हर कोई अपनी बात कह सकता है । अनुच्छेद १९ (1) इस बात का गवाह है कि भारत का हर एक नागरिक अपनी बात को बेखौफ होकर व्यक्त कर सकता है । लेकिन मुंबई हमलो के बाद प्रसारण मंत्रालय को लगा कि प्राइवेट न्यूज़ चैनल टी आर पी को लेकर कुछ ज्यादा ही दिखा रहे है । यहाँ हम ये भी बता देना चाहते है कि ख़ुद सरकारी मिडिया भी मुंबई हमले की कवरेज़ कर रही थी ।
कई मामलो में खबरिया चैनल बहुत ही बढ़िया है, जैसे एन एस जी के जवानो की जांबाजी को दिखाना या फ़िर हमलो की हर बारीक़ से बारीक़ जानकारिया दिखाना ।इसी बीच में आंतकवादी टीवी देख कर जवानो के हर कदम को जानने लगे तो यही न्यूज़ चैनल लाइव प्रसारण बंद कर दिए ।
चाहे कड़ी धुप हो या मुसलाधार बारिस हमारे पत्रकार बंधू कैमरे की नजर से सब कुछ हम लोगो के बीच पहुचाते है । हाँ ये सही है की बाजारवादी युग में टी आर पी के मायने थोड़ा बदल गए है फ़िर भी अभी जो स्थिति है वो सरकारी तंत्र से बहुत ही बढ़िया है ।
हालाँकि हमारे संपादक लोग इसका विरोध कर रहे है और प्रधानमंत्री जी से भी मिलकर इस बारे में बात करेंगे ....देखते है क्या होता है ।

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