Friday, June 13, 2008

नई सोच की पत्रकारिता ........

समाज बदला विचारधारा बदली पहनावा बदला तो क्यो पत्रकारिता न बदले ?????
पहले पत्रकारिता समाज का आइना होती थी , आज भी है लेकिन नजरिया बदला है आयाम बदले है क्यो ? इसका कारण है टी आर पी को बढाकर पैसा बनाना । नई पीढ़ी के पत्रकार आज दबाव मे है वो ख़बर के बजाय कुत्ते - बिल्ली भूतप्रेत की खबरों को ज्यादा तवज्जो देने लगे है । असली ख़बर देने वाले खबरची नौकरी बचने की जुगत मे है शायद लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ लाचार हो गया है । लोग यही सब देख रहे है तो टीवी वाले ये सब दिखा रहे है क्यो न दिखाए टी आर पी का जो मामला है , ताजा उदाहरण है आरुशी का मामला जिसको जो मन मे आ रहा है वो दिखा रहा है तह तक जाने की कोशिश कोई नही कर रहा है आखिर पुलिस नाकाम हो गई है तो ये क्यो काम करे ।

2 comments:

Anonymous said...

aapne bilkul sahi likha hai.mei aapki bat se sahmat hu.please apna word verification hata le taki humko tipni dene me aasani ho.

सुबोध said...

चिंता जायज़ है सर क्या करें कुछ समझ में नहीं आता...