ओम कबीर
खबर आई कि मुंबई की घटना पर राज ने माफी मांग ली है। पूरा पढ़ा तो पता चला कि उन्होंने उत्तर भारतीयों के खिलाफ अपने रुख के लिए नहीं, मुंबई में हुई हिंसा में दो मराठी लोगों की मौत पर खेद व्यक्त किया था। वहीं उसके एक दिन पहले ही समाचारपत्रों में पटना स्टेशन की तस्वीरें छपी कि लोग मुंबई छोड़कर वापस लौट रहे हैं। जाहिर है दोनों समाचारों में कोई खुश होने वाली बात नहीं थी। सपनों की नगरी कही जाने वाली मुंबई सपनों को बेच रही है। जो लोग भी मुंबई से वापस आ रहे हैं उनके पास सपने नहीं है। मुंबई ने चकनाचूर कर दिया है। उसी मुंबई ने जो कभी सपने दिखाती थी। बिखरे हुए सच के साथ जीवन कठिन होता है। वापस तो लौटना ही था। मुंबई की घटना में राजनीति की बू है। किसी का निवाला छीनना तो मुंबई का चरित्र नहीं था। वो भी उत्तर के नाम पर। दिशाएं तो सिफॆ रास्ता बताती हैं, पर उसी ने आज सारे रास्ते बंद कर दिए हैं। रोजी रोटी के। जरूर इसके पीछे भी कोई 'राज' है।
2 comments:
आपकी चिंता जायज है, हम लोग यहां संघर्ष कर रहे हैं, पिछले दिनों इसी पर मैने कुछ लिखा है, आप जरुर देखिए http://ashishmaharishi.blogspot.com/2008/02/blog-post_07.html
सही कह रहे हैं ।
घुघूती बासूती
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