ऑफ द रिकॉर्ड
हक़ीक़त जो कहीं दर्ज़ नहीं होती !
Tuesday, April 22, 2008
गंगा-तट
मजीद अहमद
धूप में खुले केश
चमक रही है स्त्री-देह
वातावरण में बेहद सनसनी है
फिर भी वह मुस्कुरा रही है
इस भयानक समय को
सुंदरता में तब्दील करते हुए
2 comments:
Prem
said...
सौंदर्य की सुंदर अभिव्यक्ति है
April 23, 2008 at 2:22 PM
अभिषेक पाटनी
said...
सचमुच...।
April 23, 2008 at 11:17 PM
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2 comments:
सौंदर्य की सुंदर अभिव्यक्ति है
सचमुच...।
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