Friday, May 22, 2009

मनमोहन केबिनेट का एक विश्लेषण

मनमोहन सरकार की दूसरी पारी में 19 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है जिसमें अनुभव और उनके समाजिक पृष्ठभूमि का पूरा ख्याल रखा गया है। मंत्रिमंडल में कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा और अबिका सोनी को पदोन्नति देकर केबिनेट का दर्जा दिया गया है जबकि अर्जुन सिंह जैसे दिग्गज को इसबार कोई जगह नहीं मिली है।


मनमोहन की इस कैबिनेट में शायद हाल के दिनों में पहली बार कांग्रेस के कोटे से चार दलित नेताओं को केबिनेट मंत्री बनाया गया है। जिन दलित नेताओं को केबिनेट मंत्री बनाया गया है उनमें सुशील कुमार शिन्दे, बीरप्पा मोईली,मीरा कुमार और वायलार रवि का नाम शामिल है जबकि पिछड़े वर्ग से चार और अल्पसंख्यकों से दो को(गुलाम नबी आजाद और ए के एंटोनी) अभी तक मंत्री बनाया गया है।

केबिनेट में तीन महिलाओं को जगह दी गई है जिनमें से एक ब्राह्मण, एक पिछड़ा और एक दलित है। मनमोहन मंत्रिमंडल में कांग्रेस के पुराने वोटबैंक को ध्यान में रखते हुए चार ब्राह्मणो को भी मंत्री बनाया गया है।

मंत्रिमंडल का अभी विस्तार होना बाकी है और डीएमके, नेशनल कांफ्रेंस और अन्य दलों के मंत्रियों और राज्यमंत्रियों को शपथ दिलाना अभी बाकी है। इसके बाद दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों की संख्या और भी बढ़ने की उम्मीद है।

हलांकि केंद्रीय स्तर पर मंत्रीमंडल के गठन में जातिगत आधार पर नहीं बल्कि संख्यावल और अनुभव को वरीयता दी जाती है लेकिन हिंदुस्तान जैसे देश में जाति और समाजिक पृष्ठभूमि को पूरी तरह नकारना मुश्किल है।

एक बात जो साफ तौर पर उभरकर सामने आ रही है वो ये कि कांग्रेस, बसपा के दलित वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए कमर कस चुकी है। साथ ही वो अपने पुराने आधार दलित, सवर्ण और अल्पसंख्यकों को भी वापस लाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है।

दूसरी अहम बात ये कि मंत्रियों के चयन में अनुभव और वरीयता का काफी खयाल रखा गया है जो सुकून की बात है। मनमोहन सरकार की दूसरी पारी में काबिल, बेदाग और गैर-विवादास्पद लोगों को जगह मिलना वाकई उम्मीदें जगाता है।

1 comment:

उपाध्यायजी(Upadhyayjee) said...

aap ye batayen ki chhoda kis jaati aur community ko hai? Pahale kaisa swaroop tha?