Wednesday, November 26, 2008

'आतंकवाद की जड़ सोनिया गांधी'

विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल ने अब यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी पर खुलेआम हल्ला बोल दिया है। उन्होंने साध्वी और अभिनव भारत से ध्यान हटाने के लिए सारी आतंकी गतिविधियों के तार सोनिया से जो़ड़ दिए हैं। उन्होंने कहा है- "एक विदेशी महिला और उससे जुड़े दुनिया के सबसे खतरनाक हिंसक गुप्त संगठन ओपस डेई को इस काम के लिए साल पहले से ही लगाया गया है। एक विदेशी महिला ने साल पहले ही इसका रहस्योदघाटन किया था। इस बात की जांच कराई जाए कि ओपस डेई और सोनिया गांधी के बीच क्या संबंध है। ओपस डेई भी वेटिकन सिटी का है और सोनिया भी वही की है। वहीं से भारत में ये सब गड़बड़ी फैलायी जा रही है। ऐसा करने से ही पता चल पाएगा कि संजय गांधी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे लोगों की हत्याओं में किसका हाथ था। इसकी भई गहराई से निष्पक्ष जांच होनी चाहिए कि तथाकथित हिंदू आतंकवाद के पीछे कौन-से तत्व हैं। जांच होगी तो खुद--खुद साफ हो जाएगा कि कौन से लोग इस देश की धर्म, संस्कृति पर हमला कर रहे हैं और हमारे संतों और हिंदू संगठनों के प्रति आस्था खत्म करने की खतरनाक साजिश रच रहे हैं........."
तो एक ओर तो सिंघल बाबा सोनिया गांधी को विदेशी मूल के मुद्दे पर ओपस डेई से जोड़कर घेर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर ये भी खुलासे हो रहे हैं कि मकोका अदालत में साध्वी प्रज्ञा ने एटीएस पर जो संगीन आरोप लगाए हैं कि उसे अश्लील सीडी दिखाई गई, उसे मारा-पीटा गया, कई दिन तक भूखा रखा गया, वो सब के सब आरोप झूठे हैं॥और ये सब कर्नल पुरोहित के सिखाए हुए आरोप हैं। पंचमढ़ी में ट्रेनिंग के वक्त ही उसने अभिनव भारत के कार्यकर्ताओं को सिखाया कि अगर पकड़े जाओ तो अदालती कार्रवाई में एटीएस पर संगीन आरोप लगा दो...ऐसे ऐसे आरोप लगाओ कि फिर एटीएस के पास बचने का कोई रास्ता ही बचे.......और फिर अपने घरवालों को भी सिखा दिया है कि एटीएस के खिलाफ मानवाधिकार की दुहाई देकर जांच किसी और को सौंपने की मांग करो।.......मीडिया में भी मानवाधिकार को लेकर एटीएस की काफी छीछालेदर की जा रही है.....तो फिर वही सवाल ख़ड़ा हो जाता है कि पुलिस जब कड़ी कार्रवाई करे तो मानवाधिकारों की दुहाई देकर आतंकवादियों को बचाया जाने लगता है।......अब तक आतंकवादी मुस्लिम थे....लेकिन अब पकड़े गए आतंकवादी हिंदू हैं.....फर्क बहुत ज्यादा नहीं है। पुलिस से उम्मीद भी की जाती है आंतकवादियों पर नकेल कसे.......धमाके ना हो......लेकिन फिर जब पकड़ लेती है तो मानवाधिकार को हथियार बनाकर आरोपी उल्टे पुलिस पर ही दांव चलाने लगते हैं।ऐसे में सच क्या है ये जानना वैसा ही हो गया है जैसे घुप्प अंधेरे में आपको छो़ड़ दिया जाए और कहा जाए मछली की आंख पर निशाना लगाओ.......औऱ इसे ही कहा जाता है अंधेरे में तीर छोड़ना.........

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