Tuesday, September 23, 2008

क्या बीमारी है ये भड़ास डॉट कॉम

क्या बीमारी है भइया ये ...ये किसी दिन मेरे खिलाफ न छाप दे...अब तो बड़ा आदमी बनने से डर लगता है ...किसी दिन मेरी हकीकत न छाप दे....ये भी नहीं पता कि जो छपेगा वो सच ही होगा...इतना जरूर है जो छपा होगा उसमें चटखारे लेने की पूरी गुंजाइश होगी...हर चैनल ... हर पत्रकार की खबर ले रहा है ...लेकिन इसका अंदाज मुझे पसंद नहीं....कम से कम पत्रकारों के लिए छपने वाली खबरें तो ऐसी हों जो चौसठिय़ा के अंदाज में न हों...हम सब पढ़े लिखे हैं और इससे ज्यादा दिक्कत इस बात की है कि अपने को पढ़ा लिखा मानते हैं...यशवन्त जी कृपया इतनी इज्जत न उतारें लोगों की ....निजी टिप्पणियों से बचें....संस्थान चलाने के लिए बहुत सी चीजें होती हैं...इस ब्लॉग को हर किसी का अपना फ्रस्टेशन निकालने का पखाना न बनाए....आप अच्छा काम कर रहें लेकिन प्लीज उसे अच्छी तरह से करें...पत्रकारिता में मौजूद मेरे जैसे दलित विचारकों की कुंठाओं को आवाज दें लेकिन मेरी शब्दावली को अपने संपादकीय शब्द तो दें...जो मैं बोलता हू प्लीज वैसे ही मत छाप दिया करें....मैं तो जाने अफसरों के लिए क्या क्या बोलता हूं...कई बार तो वो आलाकमान के परिवार की महिला सद्स्यों के बारे में मेरी कल्पनाशीलता का यौनातिरेक होता है .....तो क्या वो भी आप छाप देंगे....या अभी वो समय आने वाला है ......आया नहीं है .....इसे निजता की ओर न ले जाएं....किसी की इज्जत न लूटें....इज्जत लूटना बुरी बात है ......धन्यवाद

1 comment:

मिथिलेश श्रीवास्तव said...

'कई बार तो वो आलाकमान के परिवार की महिला सद्स्यों के बारे में मेरी कल्पनाशीलता का यौनातिरेक होता है .....'...वाह सर वाह खूब भड़ास निकाली है आपने भड़ास के खिलाफ...